
आहट सुनता हूँ तुम्हारी तन्हाई के बावजूद,
ये इश्क का मौसम भी बड़ा अजीब है यारों,
तन-मन सुलगता है,सुहानी पुरवाई के बावजूद,
दुनिया के रिश्ते,सुख-दुःख के धागों में बंधे हैं,
बहते आँखों में आंसू हैं,ब्याह की शहनाई के बावजूद,
यह हमारा सब्र है की हर सितम हँस के सहा है,
तुझसे शिकवा न किया कोई,तेरी बेवफाई के बावजूद॥
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