भारतीय रेल

Monday, April 22, 2013

भारतीय रेल----एक माध्यम जिसे आम आदमी अपनी ज़िन्दगी का अहम हिस्सा मानता है|भारतीय रेल हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग है,परन्तु जैसी आज कल की रेल व्यवस्था है उसे देखकर नहीं लगता की आम आदमी का विश्वास इस सबसे महत्वपूर्ण साधन में अधिक रहा है|मैं खुद रेलगाड़ी में ही सफ़र करता हूँ और अधिकतर Sleeper Class में,परन्तु वो दर्जा  जिसमे अधिकतम भारतीय सफ़र करते हैं,वो ही रेलवे विभाग के द्वारा सबसे ज्यादा अनदेखा किया हुआ है|रेलवे की pantry can ही नहीं अपितु हर जंक्शन/स्टेशन पर खड़े रहने वाले vendors भी कोई भी सामन उसके अधिकतम खुदरा मूल्य(MRP)पर नहीं देते हैं,पूछने पर कहते हैं की हम क्या कमाएंगे जबकि हमारी सरकार टेलीविज़न पर खूब प्रचार प्रसार करती है की MRP से ज्यादा में सामान बेचना गैर-कानूनी है|फिर रेलवे क्यूँ इसके दायरे में आती?कोई जवाब नहीं है.....शायद किसी के पास नहीं|एक आम माध्यमवर्गीय परिवार से सम्बन्ध रखने वाला आम आदमी इस बहस में पढ़कर अपना बहुमूल्य समय बर्बाद नहीं करना चाहता,उच्च मध्यमवर्गीय लोग - रुपयों के लिए किसी छोटे  आदमी के मुंह नहीं लगना चाहते और रेलवे मिनिस्टर गुणगान करते हैं अपने आदर्श रेलवे बजट के जो ना जाने कैसे आदर्श है|इसका उपाय यही हो सकता है की आम आदमी जाग जाए|हर चोर vendor की फोटो खींचकर मीडिया में दें,ऐसे चोरों से सामन खरीदना बंद करें,असहयोग आन्दोलन करें,अपने वोट का सही इस्तेमाल करें,इत्यादि-इत्यादि.....परन्तु क्या सच में ऐसा करने का दम है किसी आम आदमी में,मैंने कोशिश की थी,परन्तु मुझे और मेरी कोशिशों को किसी का सहयोग नहीं मिला और मैं अकेले ही चल पड़ा भ्रष्टाचार से लड़ने,परन्तु शायद जीत पाऊं.... अन्ना हजारे भी लड़ना चाहते थे भ्रष्टाचार से,परन्तु आश्वासन ही आश्वासन लेकर रह गए...फिर मैं अकेला क्या कर लूँगा....क्या कोई है जो साथ चलेगा या फिर यूँ ही बस कलम कागज़ लिए अपने विचारों को उतारता ही रह जाऊँगा....पता नहीं....
 
एक आम भारतीय 

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