तेरी जुल्फों के साए में खेलते हुए...

Tuesday, July 9, 2013

मन कहता है की बीत जाए यह ज़िन्दगी,
तेरी जुल्फों के साए में खेलते हुए,
हर धूप-हर छाँव ज़िन्दगी की बीत जाए,
तेरी जुल्फों के साए में खेलते हुए,
तेरी आँखों ने देखें हैं जो ख़्वाब हसीं,
उन्हें पूरा करने निकल जाऊँ मैं,
रास्ते में आने वाली मुश्किलों को जीत ता हुआ
इस जीवन के भंवर से पार लग जाऊँ मैं,
तेरी जुल्फों के साए में खेलते हुए,
कभी जो मौसम का मिज़ाज़ बदले,
तो बाहों में अपनी समां लो मुझे तुम,
और तेरी जुल्फों के साए में खेलते हुए,
जीवन की हर ख़ुशी को पा लें हम....

"अपनी प्रेयसी शिखा के लिए मोहित कुमार जैन द्वारा रचित"

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