शायरी(०२-०५-२०१४)

Friday, May 2, 2014

समंदर की लहरें खामोश हैं तो ये मत समझो कि उसमें रवानी नहीं है,
हम जब उठेंगे तो तूफ़ान बनके उठेंगे,अभी उठने कि ठानी नहीं है...
 
ये मौत भी बड़ी अजीब है दोस्तों,
एक दिन मरने के लिए पूरी ज़िन्दगी जीनी पड़ती है....

देखो आवाज़ देखर पास अपने पाओगे,
आओगे तनहा पर तनहा ना जाओगे,
दूर रहकर भी तुम पर है नज़र मेरी,
थाम लेंगे हाथ जब भी ठोकर खाओगे...
 
खत जा जाकर उनके हाथों को चूम ले,
जब वो पढ़ें तो उनके होठों को चूम ले,
खुद ना करे वो फाड़ भी डालें तुझे तो,
गिरते गिरते तू उनके क़दमों को चूम ले....
 
जब कोई इतना ख़ास बन जाए,
की उसके बारे में सोचना ही एहसास बन जाए,
तो मांग लेना खुद से उसे ज़िन्दगी के लिए,
इस से पहले की वो किसी और की साँस बन जाये...
 
जितना प्यार पाया है तुमसे,
उससे और ज़्यादा पाने को जी चाहता है,
जाने वो कौनसी खूबी है आपमें,
कि हर रिश्ता आपसे बनाने को जी चाहता है...
 
हर रात दिए से सजा रखी है,
हर हवा से शर्त लगा रखी है,
जाने कि गली से गुज़रे जान मेरी,
इसीलिए हर गली फूलों से सजा रखी है...

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