महफ़िल-ए-शेर-ओ-शायरी---25

Tuesday, September 3, 2013

हकीकत समझो या अफसाना,
बेगाना कहो या दीवाना,
सुनो इस दिल का फ़साना,
तेरे प्यार में ही है मेरे जीने का बहाना...

दोस्त ज़िन्दगी भर हमसे दोस्ती निभाना,
दिल की कोई बात हमसे ना कभी छुपाना,
साथ चलना मेरे तुम सुख-दुःख में,
भटक जाऊं मैं कहीं तो सही रास्ता भी दिखाना...

इस कदर हम यारों को मनाने निकले,
उसकी चाहत में हम दीवाने निकले,
जब भी उसे दिल का हाल बताना चाहा,
तो उसके होठों से वक़्त ना होने के बहाने निकले...

हम ना मिले आपसे तो फ़रियाद मिलेगी,
हम जो मिले आपसे तो याद मिलेगी,
मौत खामोश कर देगी जुबां को एक दिन मगर,
आपको हर जगह हमारी ही आवाज़ मिलेगी...

अगर वो कह दें की हम तुम्हारे हैं,
तो सबको छोड़ कर उनके हो जायेंगे,
अगर वो कह दें की ख़्वाबों में आयेंगे,
तो खुद की क़सम उनके लिए हम उम्र भर सो जायेंगे...

हर रात के चाँद को है नूर आपसे,
हर सुबह की ओस को है गुरूर आपसे,
हम कहना तो नहीं चाहते मगर,
मर जायेंगे रह कर दूर आपसे...

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