शायरी (१९-०३-२०१२)

Monday, March 19, 2012

अजीब खेल है ये मोहब्बत का;
किसी को हम न मिले, कोई हमें ना मिला!

मेरी झोली में कुछ अलफ़ाज़ अपनी दुआओ के डाल देना, ऐ दोस्त;
क्या पता, तेरे लब हिले और मेरी तकदीर सवर जाये!

तकदीर के लिखे पे, कभी शिकवा न किया कर;
फूल भी तो खुश रहते हैं, काँटों की भीड़ में!

दूर ही सही मगर तुझसे प्यार तो है;
तेरे ईन्कार के बाद भी इंतज़ार तो है!
अगर आसान होता भूलना, तो भूल जाते;
पर आज भी ये दिल बेक़रार तो है!

तेरे इन्तजार में हुई सुबह से शाम;
तेरी चाहत में हुआ ये दिल बे-लगाम;
तुझे पाने की आरजू मेरी जल्द हो पूरी;
कि होंठों पे आता है सिर्फ तेरा ही नाम!

एक मुस्कान तू मुझे एक बार दे दे;
ख्वाब में ही सही, एक दीदार दे दे!
बस एक बार कर ले तू आने का वादा;
फिर उम्र भर का चाहे इंतज़ार दे दे!

मेरी नज़रों में जो खुमार है उसका ही है;
मेरे तस्सवुर में जो हिसार है उसका ही है;
वो मेरे पास आये, साथ चले रहे न रहे;
मुझे तो बस अब इंतज़ार उसका ही है!

मिट्टी मेरी कब्र से चुरा के जा रहा है कोई;
मर कर भी बहुत याद आ रहा है कोई;
ए खुदा एक पल की ज़िन्दगी और दे दे मुझे;
उदास मेरी कब्र से होकर जा रहा है कोई!

तड़प के देखो किसी की चाहत में;
तो पता चले कि इंतज़ार क्या होता है;
यूँ ही मिल जाये अगर कोई बिना तड़पे;
तो कैसे पता चले के प्यार क्या होता है!

फासले मिटा कर आपस में प्यार रखना;
दोस्ती का ये रिश्ता हमेशा बरकरार रखना;
बिछड़ जाए कभी आपसे हम;
आँखों में हमेशा हमारा इंतज़ार रखना!

खो जाओ मुझ में तो मालूम हो कि दर्द क्या है?
ये वो किस्सा है जो जुबान से बयाँ नही होता!

हमसे बदल गये वो निगाहें तो क्या हुआ
जिंदा हैं कितने लोग मोहब्बत किये बगैर!

मरता नहीं कोई किसी के बगैर ये हकीकत है ज़िन्दगी की
लेकिन सिर्फ सांसें लेने को 'जीना' तो नहीं कहते!
शायद कोई तराश कर, किस्मत संवार दे;
यह सोच कर हम, उम्र भर पत्थर बने रहे!

प्यार है हमको आपसे इस कद्र!
जागते है इंतज़ार में अब तो हर पहर!
आपके दीदार से होती है हर सहर!
और आपके खुमार में उठती है प्यार की लहर!

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