महफ़िल-ए-शेर-ओ-शायरी.....भाग ३

Friday, May 27, 2011

नसीबों के खेल अजीब होते हैं,
चाहने वालों को आँसू ही नसीब होते हैं,
कौन होना चाहता है अपनों से जुदा,
पर अक्सर बिछड़ जाते हैं वो जो दिल के करीब होते हैं..

कुछ ज़ख्म ऐसे लगे दिल पर,
जो कि फूलों पर सोया ना गया,दिल चुरा ले गयी वो मेरा,
पर इन आँखों से रोया ना गया..

जानते हैं वो हमें याद नहीं करते,
फिर भी हम फरियाद नहीं करते,
उनकी आँखों में कोई और बसता है,
फिर भी हम किसी से आँखें चार नहीं करते..

दिल यूँ ही किसी पे आता नहीं है,
प्यार यूँ ही किसी से किया जाता नहीं है,
प्यार है अगर तो दर्द तो होगा ही,
पर फिर भी यह दर्द किसी से कहा जाता नहीं है..

मुद्दत हो गयी एक हादसा-ए-इश्क को,
लेकिन अब तक तेरे दिल के धड़कने कि सदा याद है मुझे..

कवि :-मोहित कुमार जैन

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