महफ़िल-ए-शेर-ओ-शायरी.....भाग ५

Sunday, May 29, 2011

आपकी दोस्ती को एहसान मानते हैं,
दोस्ती निभाना ईमान मानते हैं,
और होंगे जो दोस्ती में जान देते हैं,
हम तो दोस्त को ही अपनी जान मानते हैं..

दोनों आँखों में अक्सर देखा करते हैं,
हम अपनी नींद तेरे नाम किया करते हैं,
जब भी पलक झपके तुम्हारी,
समझ लेना हम तुम्हें याद किया करते हैं..

तेरे दिल पर दस्तक कर रहा हूँ,
तुझे हर पल याद कर रहा हूँ,
आओगे मेरी ज़िन्दगी में,
मैं यही सोच कर हर पल तेरा इंतज़ार कर रहा हूँ..

मेरी धडकनों में तेरा एहसास है,
तू दूर रहकर भी दिल के पास है,
मेरी हर ख़ुशी अब तेरे साथ है,
एक दिन तू होगी मेरी,ये मेरा विश्वास है..

हुआ जो ग़म तुम्हे तो दर्द कहीं और होगा,
हँसो जो तुम तो खुश कोई और होगा,
सोचो तो ज़रा उस अनजान के बारे में,
वो अनजान दोस्त मेरे सिवा और कौन होगा..

ना कभी मुस्कराहट आपके होठों से दूर हो,
आपकी हर ख्वाहिश हकीकत का मंज़ूर हो,
हो जाओ जो आप मुझसे खफा,
खुदा ना करे की मुझसे कोई ऐसा कसूर हो..

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