सिर्फ तुम

Saturday, January 30, 2010

उस दिन से ना जाने क्यूँ मेरी दुनिया ही बदल गयी,
जिस दिन मैंने तुम्हे अपनी ज़िन्दगी में पहली बार देखा था,
तुम आँखों में तारों सा नूर और
चेहरे पर फूलों सी मासूमियत लिए मेरे सामने से गुज़र गईं,
और मैं किसी दीवाने की तरह,
तुम्हे देखता रहा,बस देखता रहा,
उस पहली ही मुलाकात ने जाने कैसा असर कर दिया था,
की मुझे तुमसे प्यार हो गया था और,
दिल में तुम्हे पाने की हसरत मैंने बसा ली थी,
दिन गुज़रते गए,रातें कटती रहीं,
और मैं तुम्हे दिन-रात सोचता रहा,
मैं मांगता रहा हूँ खुदा से ये ही दुआ,
की तुम खुश रहो,तुम आबाद रहो,
चाहे ज़िन्दगी में कहीं भी रहो,
या फिर मेरे ही साथ रहो,
वो अदाएं तुम्हारी आज भी मुझे दीवाना बना देती हैं,
वो बातें तुम्हारी आज भी मुझे याद हैं,
जो तुम करती थी,जब हम साथ होते थे,
ना जाने क्यूँ आज भी,और आज के बाद भी,
रब के सामने यही दुआ करता हूँ की,
तुम बन जाओ मेरी दुल्हन,और मैं तुमसे ताउम्र प्यार करूँ,
तुम बन जाओ दीवानी मेरे प्यार में,
और तुम्हे हर जनम मैं जीवन-संगिनी के रूप में पाऊं,
यही दुआ मैं रब से बार - बार करूँ,
बस यही दुआ मैं रब से बार - बार करूँ॥

वर्ष:-२००७

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