कौन?

Wednesday, January 27, 2010

यह कौन ज़िन्दगी में उदासियाँ रख गया,
मेरे आँगन में,यादों की तितलियाँ रख गया,
आया था कुछ दिनों के लिए ,गया है सदा के लिए,
क्यूँ मेरी हयात में तनहइयां रख गया,
तिनका-तिनका चुनकर बनाया था आशियाँ,
उसी शाख पर वो ज़ालिम बिजलियाँ रख गया,
आता है याद बहुत हमें,रोते हैं अक्सर,
क्यूँ दिल में वो उम्मीदों की बस्तियां रख गया।

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