कुछ अनकही शायरियाँ.........भाग 12

Wednesday, February 15, 2012

जब तक न लगे बेवफाई की ठोकर;
हर किसी को अपनी पसंद पे नाज़ होता है!

जहाँ खामोश फिजा थी, साया भी न था;
हमसा कोई किस जुर्म में आया भी न था!
न जाने क्यों छिनी गई हमसे हंसी;
हमने तो किसी का दिल दुखाया भी न था!

खींच लेती है मुझे उसकी मोहब्बत;
वरना मै बहुत बार मिला हूँ आखरी बार उससे!

गुजरे हुए कल की याद आती है;
कुछ लम्हों से आँखें भर आती है;
वो सुबह रंगीन वो शाम निराली जाती है;
जब आप जैसे दोस्तों की याद आती है;

फूल खिलते रहे जिंदगी की राह में;
हंसी चमकती रहे आपकी निगाह में;
कदम कदम पर मिले ख़ुशी की बाहर आपको;
दिल देता है यही दुआ बार-बार आपको;

जीने के लिये सोचा ही नहीं, दर्द संभालने होंगे;
मुस्कुराये तो, मुस्कुराने के क़र्ज़ उतरने होंगे

दर्द इतना था ज़िन्दगी में की;
धड़कन भी साथ देने से घबरा गयी!

झुकी हुई पलकों से, उनका दीदार किया;
सब कुछ भुला के, उनका इंतजार किया!
वो जान ही न पाए, जज्बात मेरे;
जिन्हें दुनिया में मैंने, सबसे ज्यादा प्यार किया!

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