एक कविता.....(30-01-2012)

Monday, January 30, 2012

आज तक बहुत कुछ खोया है हमने,
लेकिन आज कुछ पाने को दिल चाहता है.
हर हालात को ख़ुशी से क़ुबूल किया है हमने,
लेकिन आज उनसे लड़ने को दिल चाहता है.
अब तक थे जिंदगी में तनहा हम लेकिन,
अब किसी को अपना बनाने को दिल चाहता है.
न जाने कब से नहीं सोये हैं हम लेकिन,
आज जी भरके सोने को दिल चाहता है.
चलते चलते बहित थक गए हैं हम लेकिन,
आज एक जगह रूक जाने को दिल चाहता है.
हर बात को हस कर टाल देते थे हम ,लेकिन
न जाने क्यूँ आज रोने को दिल चाहता है.

कुछ अनकही शायरियाँ.........भाग 11

Wednesday, January 25, 2012

तुम मुझे मौका तो दो ऐतबार बनाने का;
थक जाओगे मेरी वफाओं के साथ चलते चलते!

आज असमान के तारों ने मुझे पूछ लिया;
क्या तुम्हें अब भी इंतज़ार है उसके लौट आने का!
मैंने मुस्कुराकर कहा;
तुम लौट आने की बात करते हो;
मुझे तो अब भी यकीन नहीं उसके जाने का

वक़्त बदलता है ज़िन्दगी के साथ;
ज़िन्दगी बदलती है वक़्त के साथ;
वक़्त नहीं बदलता अपनों के साथ;
बस अपने बदलते हैं वक़्त के साथ!

आस पास तेरा एहसास अब भी लिये बैठें हैं;
तू ही नज़र अंदाज़ करे तो हम शिकवा किससे करें!

माना आज उन्हें हमारा कोई ख़याल नहीं;
जवाब देने को हम राज़ी है, पर कोई सवाल नहीं!
पूछो उनके दिल से क्या हम उनके यार नहीं;
क्या हमसे मिलने को वो बेकरार नहीं!

हर पल ने कहा एक पल से,
पल भर के लिये आप मेरे सामने आ जाओ...
पल भर का साथ कुछ ऐसा हो...
कि हर पल तुम ही याद आओ!

फलक से चाँद उतारा गया;
मेरी आस का एक सहारा गया!
मैं दो बूँद पानी तरसती रही;
मेरे होंठों से ज़हर गुज़ारा गया!

कुछ अनकही शायरियाँ.........भाग 10

Wednesday, January 11, 2012

सवाल पानी का नहीं, प्यास का है;
सवाल मौत का नहीं, सांस का है:
दोस्त तो दुनिए में बहुत है मगर;
सवाल दोस्ती का नहीं, विश्वास का है!

काश वादों का मतलब वो समझते;
काश खामोशी का मतलब वो समझते;
नजर मिलती है हज़ारों नजारों से;
काश मेरी नज़रों का मतलब वो समझते!

हमने तेरे बाद न रखी किसी से महोब्बत की आस;
एक शक्स ही बहुत था जो सब कुछ सिखा गया!

इश्क के रिश्ते कितने अजीब होते है?
दूर रहकर भी कितने करीब होते है;
मेरी बर्बादी का गम न करो;
ये तो अपने अपने नसीब होते हैं!

हम आह भी भरते हैं तो बदनाम होते हैं;
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता!

आखिर ज़िन्दगी ने भी आज पूछ लिया मुझ से,
कहाँ है वो शक्स जो तुझे मुझ से भी अज़ीज़ था!