कुछ अनकही शायरियाँ.........भाग 10

Wednesday, January 11, 2012

सवाल पानी का नहीं, प्यास का है;
सवाल मौत का नहीं, सांस का है:
दोस्त तो दुनिए में बहुत है मगर;
सवाल दोस्ती का नहीं, विश्वास का है!

काश वादों का मतलब वो समझते;
काश खामोशी का मतलब वो समझते;
नजर मिलती है हज़ारों नजारों से;
काश मेरी नज़रों का मतलब वो समझते!

हमने तेरे बाद न रखी किसी से महोब्बत की आस;
एक शक्स ही बहुत था जो सब कुछ सिखा गया!

इश्क के रिश्ते कितने अजीब होते है?
दूर रहकर भी कितने करीब होते है;
मेरी बर्बादी का गम न करो;
ये तो अपने अपने नसीब होते हैं!

हम आह भी भरते हैं तो बदनाम होते हैं;
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता!

आखिर ज़िन्दगी ने भी आज पूछ लिया मुझ से,
कहाँ है वो शक्स जो तुझे मुझ से भी अज़ीज़ था!

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