महफ़िल-ए-शेर-ओ-शायरी.....भाग १०

Friday, June 10, 2011

ज़िन्दगी काँटो भरा सफ़र है,
हौसले ही उसकी पहचान है,
रास्ते पर तो सभी चलते है,
जो रास्ता बनाये वो इंसान है...

थी उम्मीद खुशियों की उनसे,
मगर वो भी हमें ग़म दे गए,
उन्हें मालूम था की हम उनके बिना मर जायेंगे,
फिर भी हमें जीने की क़सम दे गए...

अदा उनकी थी ओर दीवाने हम बने,
वफ़ा वो ना कर सके ओर बेवफा हम बने,
यूँ तो हज़ारों थे भीड़ में,
शुक्रिया उनका जो उनकी नज़रों का निशाना हम बने...

हर सागर के दो किनारे होते हैं,
कुछ लोग जान से भी ज्यादा प्यारे होते हैं,
यह ज़रूरी नहीं की हर कोई पास हो,
क्यूंकि ज़िन्दगी में यादों के भी सहारे होते हैं...

यूँ ना सजा दो यारों दिल लगाने की,
हद हो चुकी दिलों को जलाने की,
मिलता नहीं उन आँखों के सिवा सुकून दिल को,
कोई तो राह बताओ उसे भूल जाने की....

वो पल ऐसा था हम इनकार ना कर पाए,
दुनिया के खौफ से इकरार ना कर पाए,
ना थी ज़िन्दगी जिसके बिना मुमकिन,
उसने हमें छोड़ दिया ओर हम सवाल भी ना कर पाए....

कांच चुभे तो ज़ख्म रह जाता है,
दिल टूटे तो अरमान रह जाता है,
लगा तो देता है वक़्त मरहम इस दिल पर,
फिर भी उम्र भर एक निशाँ रह जाता है..

उसको बस इतना बता देना,
इतना आसान नहीं है तुम्हे भूल जाना,
तेरी यादें भी तेरे जैसी हैं,
उन्हें आता है बस रुला देना.....

सपने सारे तोड़ के बैठे हैं,
दिल के अरमान छोड़ के बैठे हैं,
ना कीजिये हमसे वफ़ा की बातें,
अभी-अभी दिल के टुकड़े जोड़ के बैठे हैं...

एक दिन ज़िन्दगी से पूछा,
वादे ओर यादों में क्या फर्क है,
जवाब मिला - वादे इंसान तोड़ता है,
ओर यादें इंसान को तोड़ती हैं..

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