कुछ समझ नहीं आता

Wednesday, July 3, 2013

आजकल मीडिया के बीच में युवा वर्ग के आदर्श या प्रतिबिम्ब को लेकर ही बहस चलती रहती है| और मुझे हैरानी होती है देश के नासमझ मीडिया पर|किन बातों को ध्यान में रखकर कोई भी ऐरा-गैरा देश के करोड़ों युवाओं का प्रतिबिम्ब बन जाता है, या फिर मीडिया द्वारा ज़बरदस्ती बना दिया जाता है?? समझ ही नहीं आता|
 
राहुल गाँधी:-एक ४३ साल का अधेड़ व्यक्ति, कैसे युवा हो सकता है पता नहीं,शास्त्रों में ४० साल के व्यक्ति को युवा नहीं कहा जाता|पर तब पता चलता है की हमारे देश में सचिन तेंदुलकर को ४० की उम्र में बूढा कहा जा सकता है पर एक राजनेता ४० की उम्र में जवानी की देहलीज पर कदम रखता है|राहुल गाँधी माँ के साये में रहने वाला दब्बू किस्म का व्यक्ति है जो की चापलूसों से घिरा रहता है और देश के विकास की बात करता है.उसने विवाह नहीं किया जबकि शास्त्रों में इतनी उम्र तक कुँवारा रहना नहीं कहा गया है|कैसे वो आदर्श हो सकता है युवा वर्ग के लिए?? कुछ समझ नहीं आता|
 
रणबीर कपूर:-ड्रग्स,सिगरेट,शराब,लड्किबाज़ी सबमे हाथ आजमाया हुआ, १८ साल से फेले ही अपना कौमार्य खो चूका यह व्यक्ति क्या आज के युवा को रिप्रेजेंट करता है|मैं नहीं मानता|हिंदुस्तान का युवा ऐसा नहीं है|वो संस्कारी है,मत पिता की आगया मानने वाले,नशे की लत से दूर रहने वाले संस्कारी हैं,जो रणबीर कपूर तो नहीं लगता|फिर वो कैसे युवा वर्ग हुआ आज के हिंदुस्तान का?? कुछ समझ नहीं आता...
 
यदि आज के युवा वर्ग के रिप्रेजेन्टेटिव के रूप में किसी को लाना चाहिए मीडिया को तो वो भगत सिंह हैं जिन्होंने २३ की उम्र में हँसते-हँसते देश के लिए अपे प्राण कुर्बान कर दिए,वो नारायणमूर्ति हैं जिन्होंने स्वावलंबी जीवन जिया,खुद का उद्योग चालू किया और कईयों को रोज़गार दिया,आत्म-निर्भरता के गुण सिखाये नए उद्योग लगाने के सपने देखने वालों को,वो सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ है जिनके कठोर परिश्रम का अनुसरण करके युवा किसी भी क्षेत्र में कोइस भी लक्ष्य पा सकते हैं...पर कैसे ये लोग आज के युवा वर्ग को रिप्रेजेंट नहीं करते??कुछ समझ नहीं आता...
 
मेरे आदर्श ये लोग हैं....वो पहले बताये हुए नहीं|और आपके??

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