कहता
है दिल
की चाहूँ
तुझे
बस
यूँ ही..
पल-पल
छिप-छिपकर
देखूँ
तुझे
बस
यूँ ही..
नींद
जब ले
रही हो
तुम,
तो
साँसों को
तुम्हारी सुनूँ..
बस
यूँ ही..
सुबह
की पहली
किरण के
साथ तेरे
माथे की
जुल्फें हटाऊँ
मैं,
बस
यूँ ही..
हर
दुआ में
तेरा साथ
मांगूँ
हर
ख्वाब में
तेरा प्यार
बस
यूँ ही..
कभी
जब घर
पर अकेली
हो तुम,
तो
फ़ोन कर
यूँ ही
कहूँ "आई
लव यू",
और
जब तुम
मुझसे कहो
की अभी
कुछ देर
पहले ही
तो कहा
था,फिर
दोबारा क्यूँ,
तो
मैं कहूँ...बस
यूँ
ही...
"अपनी प्रेयसी शिखा के लिए मोहित कुमार जैन द्वारा रचित"
"अपनी प्रेयसी शिखा के लिए मोहित कुमार जैन द्वारा रचित"
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