शायरी(२७-०४-२०१४)

Sunday, April 27, 2014

दुनियादारी में हम थोड़े कच्चे हैं,
मगर दोस्ती के मामले में हम सच्चे हैं,
हमारी सच्चाई बस इसी बात पर टिकी है,
कि हमारे दोस्त हमसे भी ज़्यादा अच्छे हैं...

ठहरी ठहरी तबियत में रवानी आई,
आज फिर याद मोहब्बत कि कहानी आई,
आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा,
आज फिर याद कोई चोट पुरानी आई...

बर्बादियों का जायज़ा लेने के वास्ते,
वो मेरा हाल पूछते हैं कभी-कभी....

मुझे मालूम हैं मैं उसके बिना जी नहीं सकता,
उसका भी यही हाल हैं...मगर किसी और के लिए...

जो कभी हो तेरे दिल में सवाल,
कि कितनी हैं मुझे ज़रुरत तेरी,
तो ज़रा अपनी साँस रोक कर,
साँसों की तालाब महसूस कर लेना...

इतना भी याद ना आओ की रातों को सो न सकें,
सुबह सुर्ख आँखों का सबब पूछते हैं लोग...

तेरा दिल भी अजीब है मेरी जान..
जब मेरे लिए धड़कता था तो मैंने सुना नहीं,
और आज दूसरे के लिए धड़क रहा है तो उस आवाज़ से मैं परेशान हूँ...

बात ना सही एक नज़र देख तो लेते,
मेरी जान,एक तेरी नज़र ही है जो मुझे आज तक ज़िंदा रखी है...

वो मिले भी तो हमें खुद के दरबार में ए दोस्तों,
अब तुम ही बातो कि मोहब्बत करें या इबादत...

प्यार पाया और पाकर खो दिया,
उम्र भर अब प्यार को तरसता रहूँगा,
ज़िंदा तो हूँ मगर,
ज़िन्दगी भर ज़िन्दगी के लिए तरसता रहूँगा...

मैं अब भी वैसा हूँ जैसा तुम मुझे छोड़ गयी थी,
बस कुछ आँखें लाल हो गयी हैं इंतज़ार करते-करते...

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