मंदिर में मन के जैसे तू ही रहती बनके मूरत है,
आईने के सामने खड़े होकर,जैसे नज़र आती बस तेरी सूरत है,
मेरी ज़िन्दगी में एक बहार बनके आओ,
और महका दो इसे जैसे बगिया में खिला कोई फूल हो,
और कर दो पावन अपने स्पर्श से मेरे इस अधूरे से जीवन को,
कभी भँवरा बनकर,कभी रसिया बनकर,
जो ना पा सका इस जीवन में,
वो प्रेम रस भर दो मेरे जीवन में,
कभी प्रेम रस का गा ना सका जो कोई नग़मा,
वो गीत गुनगुनाना सिखा दो,और बना दो
मुझे परवाना और खुद को शमा,
मेरे अंतर्मन से निकली आवाज़ के जादू से ही,
पर छा जाओ मेरे जीवन में बनके इन्द्रधनुषी रंग,
कुछ राहत तो मिले इस भटकते जीवन को,
और पा जाऊं मैं अपने हम-दम का अनमोल संग...
कवि :-मोहित कुमार जैन
Quotes(14-08-2014)
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“When you blame others, you give up your power to change.” — Dr. Robert
Anthony “It isn’t where you came from; it’s where you’re going that
counts.” — Ella...
10 years ago
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