महफ़िल-ए-शेर-ओ-शायरी---13

Tuesday, August 27, 2013

मौत माँगते हैं तो ज़िन्दगी खफा हो जाती है,
ज़हर लेते हैं तो वो भी दवा हो जाती है,
तू ही बता खुद क्या करूँ,
जिसको भी चाहते हैं हम,वो बेवफा हो जाती है...
 
तुम्हे याद करने का क्या सवाल,
तुम तो हमेशा मेरे दिल में रहती हो...
 
लफ्ज़ बदल जाते हैं वरना,
दुनिया में कोई बात,नयी बात नहीं...
 
खुद करे की साड़ी उम्र हमें मंजिल ना मिले,
बहुत मुश्किल से उन्हें मनाया है साथ चलने को..
 
डूबी हैं मेरी उंगलियाँ मेरे ही खून में,
ये कांच के टुकड़ों पर भरोसे की सज़ा है...
 
शायद वो अपना वजूद छोड़ गया है मेरी हस्ती में,
यूँ सोते-सोते जाग जाना मेरी आदत कभी ना थी...
 
एक नफरत ही नहीं दुनिया में दर्द का सबब,
मोहब्ब्त भी सुकूँ वालों को बड़ी तकलीफ देती है....
 
गुज़र गया वो वक़्त जब तेरी हसरत थी मुझे,
अब तू खुदा भी बन जाए तो भी तेरा सजदा ना करूँ..
 
ज़माना हमें इतना गरीब क्यूँ समझता है दोस्त,
उसे मालूम नहीं की हम दर्द की दौलत से मालामाल हैं...
 
नादान है वो कितना की कुछ समझता ही नहीं,
सीने से लगा के पूछता है की धडकनें तेज़ क्यूँ हैं...
 
गुमनामी का अँधेरा कुछ इस तरह छा गया है,
कि दास्तान बनके जीना भी हमें रास गया है...
 
मेरी आँखें भी मुझसे एक दिन यह कह गयीं,
ख्वाब उसके अब ना देखा करो कि हमसे और रोया नहीं जाता.....
 
हमने अपने इश्क का इज़हार कुछ यूँ किया,
फूलों से तेरा नाम,पत्थरों पे लिख दिया....
 
जो फुर्सत मिले तो चाँद से मेरे दर्द कि कहानी पूछ लेना,
एक वो ही तो है हमराज़ मेरा,तेरे सो जाने के बाद...
 
दिल तो करता है ज़िन्दगी को किसी कातिल के हवाले कर दूँ,
जुदाई में ये रोज़ का मरना मुझे अच्छा नहीं लगता...
 
उसके हाथों पर अपना नाम देखा,तो मैं बहुत खुश था,
वो बड़े मासूम से लहज़े में बोली,तेरे हमनाम और भी हैं...
 
जाने किस बात को छुपाने कि तमन्ना है उसे,
आज हर बात पर हँसते हुए देखा उसको...
 
तुम्हारे बाद बाकी तो सब ठीक है लेकिन,
जहाँ दिल था पहले...वहाँ अब दर्द रहता है....

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