महफ़िल-ए-शेर-ओ-शायरी---3

Monday, August 26, 2013

ये और बात है साक़ी,की मुझे होश नहीं,
वरना मैं कुछ भी हूँ,एहसान-फरामोश नहीं..
 
उसके इकरार का इंतज़ार है मुझे,
जाने क्यूँ उस से इतना प्यार है मुझे,
मेरे ख़ुदा,कब आएगा वो हसीं पल,
जब वो खुद ही कहेगी,
की हाँ जान तुमसे प्यार है मुझे...
 
चाहकर भी जुदा ना रह सकोगे,
रूठ कर भी खफ़ा ना रह सकोगे,
हम रिश्ते ही कुछ ऐसे निभायेंगे,
की आप हमारे बिना एक पल भी ना रह सकोगे...
 
दिल ही दिल में मुलाक़ात हो जायेगी,
आईने में देखिये मुझसे बात हो जायेगी,
शिकवा ना करो मुझसे मिलने का,
ख़्वाबों में ही सही, पर मुलाकात हो जायेगी...
 
याद रूकती हैं रोक पाने से,
दिल मानता नहीं किसी के समझाने से,
रुक जाती है धडकनें,आपको भूल जाने से,
इसीलिए आपको याद करते हैं जीने के बहाने से...
 
खुशबू की तरह मेरी हर साँस में,
प्यार अपना बसाने का वादा करो,
रंग जितने तुम्हारी मोहब्बत के हैं,
मेरे दिल में सजाने का वादा करो...
 
नज़रें उठें तो प्यार हो जाता है,
पलकें उठें तो इकरार हो जाता है,
ना जाने क्या कशिश है चाहत में,
कि कोई अनजान भी हमारी ज़िन्दगी का हक़दार हो जाता है...

0 comments: