गर

Tuesday, August 27, 2013

गर प्यार भरे रिश्ते का साथ हो तो ये हर दर्द की दवा है होती
गर दिया हो दर्द  प्यार भरे रिश्ते ने तो उस दर्द की दवा नहीं होती

गर दिल में हो सिर्फ़ खुशी का आहिसास तो  खिज़ा भी बाहर है लगती
गर दिल में हो गमों  का सैलाब तो बाहर भी खिज़ा है लगती

गर सुकून हो दिल में  तो   पत्थरों  पे भी खूब नीद है आती
गर  नहीं सुकून मन का तो मखमली बिस्तर पे भी नीद नहीं आती

गर मिल जाए हमसफ़र का साथ प्यार  से तो ज़िंदगी हसीन है होती
गर दिल में हो नफ़रत हमसफ़र के लिए तो ज़िंदगी आसानी से  जी नहीं जाती

गर बच्चे  करें इज़्ज़त अपने माँ बाप की तो  बच्चों को दुआएँ हैं  मिलती
गर बेज़ती करते हों  बच्चे माँ बाप की, तो भी दिल से  बद दुआ  नहीं निकलती

गर  बच्चे सुख दें   माँ बाप को तो ज़िंदगी माँ बाप की हसीन है होती
गर दुखी करते हों  बच्चे माँ बाप को तो आसानी से मौत भी नहीं आती

1 comments:

Bansi Dhameja said...

कविता देख कर अच्छा लगा. मैने एक शब्द गूगल पर लिखा और मेरी कविता सामने आ गयी और आपके ब्लॉग पर पहुँचा. अच्छा इस लिए लगा कि मेरी लिखी कविता आप को इतनी पसंद आ गयी कि आपने अपने ब्लॉग पर पोस्ट कर दी. मैं तो लिखता हूँ औरों तक अपने विचार पहुचने के लिए न कि अपने नाम के लिए शुक्रिया