महफ़िल-ए-शेर-ओ-शायरी---23

Saturday, August 31, 2013

कीमत पानी की नहीं, प्यास की होती है;
कीमत मौत की नहीं, सांस की होती है;
प्यार तो बहुत करते हैं दुनिया में;
पर कीमत प्यार की नहीं विश्वास को होती है।

नज़र चाहती है दीदार करना;
दिल चाहता है प्यार करना;
क्या बताऊं इस दिल का आलम;
नसीब में लिखा है इंतजार करना।

इंतज़ार की आरजू अब खो गई है;
खामोशियों की आदत सी हो गई है;
ना शिकवा रहा ना सिकायत किसी से;
अगर है तो एक मोहब्बत;
जो इन तनहाइयों से हो गई है।

बिन ख्वाबों के भी क्या कोई सो पाया है;
बिन यादों के भी क्या कोई रो पाया है;
दोस्ती आपकी धड़कन है इस दिल की;
क्या दिल भी कभी धड़कन से अलग हो पाया है!

नींद तो बचपन में आती थी.....
अब तो सिर्फ सोते है हम।

खुदा की बनाई कुदरत नहीं देखी;
दिलों में छुपी दौलत नहीं देखी;
जो कहता है दूरी से मिट जाती है दोस्ती;
उसने शायद हमारी दोस्ती नहीं देखी।


आज खुदा ने फिर पूछा;
तेरा हँसता चेहरा उदास क्यों है;
तेरी आँखों में प्यास क्यों है;
जिसके पास तेरे लिए वक़्त नहीं है;
वही तेरे लिए खास क्यों है!


दर्द में कोई मौसम प्यारा नहीं होता;
दिल हो प्यासा तो पानी से गुजारा नहीं होता;
कोई देखे तो हमारी बेबसी;
हम सबके हो जाते पर कोई हमारा नहीं होता!


अपनी बेबसी पर आज रोना आया;
दूसरों को क्या मैंने तो अपनों को भी आजमाया;
हर दोस्त की तन्हाई हमेशा दूर की मैंने;
लेकिन खुद को हर मोड़ पर हमेशा अकेला पाया।
 
 

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