छोड़ गया

Monday, August 26, 2013

फिर वो ही कहानी दोहराई गयी फिर मुझे कोई तनहा छोड़ गया;
ले गया सब कुछ जाने वाला बस एक यादों की दुनिया छोड़ गया;
 
वह लम्हें जिन की शाख़ पर हमारी मुलाकातों के फूल सजे थे
उन शाख़ों से उन्हें नोच कर उनपर जुदाई का बसेरा छोड़ गया ;
 
मैं मुद्दतों प्यास की शिद्दत को सहता रहा सेहरा में भी मगर,
दम निकला जब मुझे समंदर तक लाकर वह प्यासा छोड़ गया;
 
जाने वाला ले गया आँखों से नीदें दिल से क़रार भी लेकिन,
आखों में ख़्वाब के टुकड़े दिल में अपनी एक तमन्ना छोड़ गया;
 
कभी जानम कभी जानाँ कभी जान--जहाँ कहता जो मुझे,
वह सारे नाम सब अलक़ाब मिटाकर बेनाम रिश्ता छोड़ गया;
 
कुछ इस तरह बँटवारा--सल्तनत--इश्क़ किया उसने,
मेरे लब के लिए खुश्क सेहरा और आँखों के लिए दरिया छोड़ गया;

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