महफ़िल-ए-शेर-ओ-शायरी---4

Monday, August 26, 2013

लबों पे तेरा नाम मैं लाऊँ कैसे,
तूने भुला दिया पर मैं तुझको भुलाऊँ कैसे,
तेरा ज़िक्र नहीं करता की तू कहीं बदनाम ना हो जाए,
पर ये आंसू इन आँखों में मैं छुपाऊँ कैसे..
 
दर्द बहुत हुआ दिल के टूट जाने से,
कुछ हुआ उनके लिए आंसू बहाने से,
वो जानते थे वजह मेरे दर्द की,
फिर भी बाज़ आये वो मुझे आज़माने से...
 
दिल से खेलना हमें आता नहीं,
इसीलिए इश्क की बाज़ी हम हार गए,
शायद मेरी ज़िन्दगी से बहुत प्यार था उन्हें,
इसीलिए वो मुझे जीते जी ही मार गए...
 
किसी भी मोड़ पे हम तुम्हे खोने नहीं देंगे,
जुदा होना चाहो भी तुम तो हम जुदा होने नहीं देंगे,
जब चांदनी रातों में याद आएगी हमारी,
तो हमारी यादों के वो पल तुम्हे सोने नहीं देंगे...
 
हँसते रहे आप हज़ारों के बीच में,
जैसे हँसते हैं फूल बहारों के बीच में,
रोशन हों आप दुनिया में इस तरह,
जैसे होता है चाँद सितारों के बीच में...
 
मेरे सब्र का इम्तेहान मत लो,
दिल तो ले लिया है अब जान मत लो,
पुकारने लगें हैं लोग अब मुझे तेरे नाम से,
कम से कम मुझसे मेरी पहचान तो मत लो...
 
यूँ तो सदमों में भी हँस लेता था में,
आज क्यूँ बेवजह रोने लगा हूँ मैं,
बरसों से हथेलियाँ खाली ही रही मेरी,
फिर आज क्यूँ लगा की सब खोने लगा हूँ मैं..
 
बहुत थक गया हूँ मैं,
दिन भर तेरी राह देखते-देखते,
इजाज़त हो अगर तो सो जाऊं,
तेरी यादों को सीने से लगाकर...
 
आपकी वफ़ा हमेशा मुझपर उधार रहेगी,
मेरी ज़िन्दगी आपकी मुस्कराहट पर निसार रहेगी,
दिया है आपने इतना प्यार मुझे,
की मर कर भी मेरी ज़िन्दगी आपकी कर्ज़दार रहेगी...
 
उदास है दिल और आँखों में नमी है,
जैसे रूठा है आसमान और खामोश ये ज़मीं है,
याद करने की कोई तो वजह बताओ,
नाराज़ हो हमसे या वक़्त की कमी है....
 
रास्ते में पत्थरों की कमी नहीं है,
और मेरे मन में टूटे सपनो की कमी नहीं है,
चाहता हूँ उन्हें अपना बनाना,
पर उनके पास अपनों की कमी नहीं है....
 
काश की वो लौट आये मुझसे ये कहने,
की तुम कौन होते हो मुझसे बिछड़ने वाले..

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