महफ़िल-ए-शेर-ओ-शायरी---30

Thursday, October 3, 2013

उठाते हैं जब ये हाथ दुआ को,
रब से तेरे लिए ही फ़रियाद करते हैं,
तुम हमें भुला भी दो तो क्या,
हम तो तुम्हे हर पल याद किया करते हैं...

नाराज़ होना आपसे हमारी गलती कहलाएगी,
अगर आप हमसे नाराज़ हुए तो ये सांसें थम जायेंगी,
हँसते रहना हमेशा आप,
आपकी हँसी से हमारी ज़िन्दगी सँवर जायेगी...

बाटी करके रुला न दीजियेगा,
यूँ चुप रहकर सज़ा न दीजियेगा,
ना दे सके ख़ुशी गर, तो ग़म ही सही,
पर दोस्त बनकर यूँ भुला न दीजियेगा...

चाँद की जुदाई में आसमां भी तड़प गया,
उसकी एक झलक पाने को हर सितारा तरस गया,
बादल के दर्द का क्या कहूँ,
चाँद की याद में वो हँसते-हँसते बरस गया...

दिल-ए-नादान तेरी धड़कने की वजह क्या है.!
किसे ढूंढता तेरी ज़ुस्तज़ु की वजह क्या है.!!
बिन पिए ही क्यूँ मदहोश-सा दिखता है.
बता ना तेरी बहकने की वजह क्या है.!!
 ना दिन को क़रार ना रात आँखों में नींद.!
क्यूँ हुआ ये तेरी तड़पने की वजह क्या है.!!
सुना है इश्क़ में लोग खुदसे बेगाने होते.!
तेरी जहाँ से बेगाना होने की वजह क्या है.!!
 तुझे खबर है यहाँ मुहब्बत शौक़ बन चुकी.!
फिर तेरी इश्क़ में उलझने की वजह क्या है.!!

तेरे सांसो की मह्क मेरे गजलों में उतरने लगी है जबसे
लोंग पूछने लगे हैं मुझसे कि गुलशन में रहने लगे हो कबसे

देख मत मूझे इस तरह के मैं अपने बस में न रहूं
आंखे मत फ़ेर लेना इस तरह के में कहीं का न रहूं

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