महफ़िल-ए-शेर-ओ-शायरी---31

Thursday, October 3, 2013

तूफ़ान में किनारे मिल जाते हैं,
ज़िन्दगी में सहारे मिल जाते हैं,
कोई चीज़ ज़िन्दगी से प्यारी नहीं होती,
पर कुछ लोग ज़िन्दगी से भी प्यारे मिल जाते हैं...


प्यार के उजाले में ग़म आता क्यूँ हैं,
जिसको हम चाहते हैं,वो ही हमें रुलाता क्यूँ है,
अगर वो मेरा नसीब बन कर आय है,
तो वो मेरी दुनिया को हमारी दुनिया बनता क्यूँ नहीं है...

काफी वक़्त लगा मुझे आप तक आने में,
काफी फ़रियाद की मालिक से आपको पाने में,
कभी दिल तोड़कर नहीं जाना ए हुज़ूर,
मैंने अपनी उम्र लगा दी आप जैसा दोस्त पाने में...

कभी किसी का साथ मत छोड़ना,
ये सोचकर की उसके पास कुछ नहीं है तुम्हे देने के लिए,
बस ये सोचकर उसका साथ निभाना,
की उसके पास कुछ नहीं है तुम्हारे सिवा खोने के लिए...

काश वो समझते इस दिल की तड़प को,
तो यूँ इस दिल को रुसवा ना किया होता,
उनकी ये बेरुखी और ज़ुल्म भी मंज़ूर था हमें,
बस एक बार हमें समझ लिया होता..

बहुत उदास है कोई तेरे जाने से,
हो सके तो लौट के आजा किसी बहाने से,
तू लाख खफा ही सही,मगर एक बार तो देख,
कोई टूट गया तेरे जाने से...

बहुत कुछ होता है दिल की गहराई में,
तड़प जाता है दिल रात की तन्हाई में,
यूँ तो कहने को दोस्त बहुत हैं,
पर फर्क बहुत होता है साया और परछाई में...

किताबों में लिखा है फूल तोड़ना मना है,
बागों में लिखा है फूल तोड़ना मना है,
लेकिन फूलों से कीमती है दिल,
तो कोई क्यूँ नहीं कहता की दिल तोड़ना मना है..

टूट जाए न भरम,होठों को हिलाऊं कैसे,
हाल जैसा भी है मेरा,लोगों को सुनाऊं कैसे,
वो अगर रुलाता है मुझे तो रुलाये जी भर के,
मेरी आँखों में है वो,मैं उसको रुलाऊं कैसे...

ज़िन्दगी से हमने कभी कुछ चाहा ही नहीं,
चाहा जिसे उसे कभी पाया ही नहीं,
जिसे पाया उसे कुछ यूँ खो दिया,
जैसे ज़िन्दगी में कभी कोई आया ही नहीं..

हम आपकी नफरत को भी प्यार समझ लेंगे,
क्यूंकि नफरत वो ही करते हैं जो प्यार करते हैं,
मानते हैं की हम ना चाहते हुए भी आपको दर्द दे जाते हैं,
पर बुरे होकर भी हम आपसे बहुत प्यार करते हैं...

यूँ तो सदमों में भी हँस लेते हैं हम,
आज क्यूँ बेवजह रोने लगे हम,
बरसों से हथेलियाँ खाली ही रहीं मेरी,
फिर आज क्यूँ सब-कुछ खोने लगे हम..

मैं किसी को क्या इलज़ाम दूं अपनी मौत का दोस्तों,
यहाँ तो सताने वाले भी अपने थे और दफनाने वाले भी....

सूखे पत्ते की तरह बिखरे हुए थे हम,
किसी ने समेटा भी तो जलाने के लिए...

आज तेरी गलियों से गुजरी है मैय्यत मेरी,
देख मरने के बाद भी हमने रास्ता नहीं बदला...

हालात ने तोड़ दिया मुझे कच्चे धागे की तरह,
वरना मेरे वादे भी कभी ज़ंजीर हुआ करते थे...

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