महफ़िल-ए-शेर-ओ-शायरी---33

Sunday, October 6, 2013

रंगों में घुली लड़की क्या लाल-गुलाबी है,
जो देखता है कहता है क्या माल गुलाबी है,
पिछले बरस तूने जो भिगोया था होली में,
अब तक निशानी का वो रुमाल गुलाबी है...
 
धुप तेज़ है,पास साया भी नहीं,
दर्द ऐसा है की रोना आया भी नहीं,
तेरे सिवा किसी को मैंने अपना माना भी नहीं,
क्यूंकि किसी को आप जैसा रब ने बनाया ही नहीं...
 
मैं मर जाऊं तो मेरा जिस्म जल देना,
लेकिन उसमें से मेरा दिल निकाल लेना,
मुझे परवाह नहीं मेरे जल जाने की,
मुहे परवाह अहि उस दिल में रहने वाले की....
 
जज़्बात--इश्क नाकाम ना होने देंगे,
दिल की दुनिया में शाम ना होने देंगे,
इश्क का हर इलज़ाम अपने सर लेंगे,
पर महबूब को कभी बदनाम ना होने देंगे...
 
डरते हैं आग से कहीं जल ना जाएँ,
डरते हैं ख्वाब कहीं टूट ना जाएँ,
लेकिन सबसे ज्यादा डरते हैं इस बात से,
कि कहीं आप हमसे रूठ ना जाएँ..
 
तन्हाई है प्यार में,
बर्बादी है प्यार में,
बेबसी है प्यार में,.
ग़म है प्यार में,
हार भी है प्यार में,
हमें सब पता है,
पर क्या करें,
हम भी हैं प्यार में...

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