कुछ अनकही शायरियाँ.........भाग 2

Tuesday, March 2, 2010



१.कितने चेहरे हैं इस दुनिया में,
पर हमको एक ही चेहरा नज़र आता है,
दुनिया को हम क्या सिखाएँ,
यादों में ही सारा वक़्त गुज़र जाता है॥

२.मिलकर जुदा हुए तो ना सोया करेंगे हम,
एक-दूसरे की याद में रोया करेंगे हम,
आंसू छलक-छलक कर सतायेंगे रात भर,
मोती पलक-पलक में पिरोया करेंगे हम,
जब दूरियों की आग दिलों को जलायेगी,
जिस्मों को चाँदनी में भिगोया करेंगे हम॥

३.ना कोई मंजिल ना कोई सहारा है,
ना कोई आंसू,ना ख़ुशी का कोई इशारा है,
पर आप हैं तो लगता है की,
की इस जहाँ में कोई तो है जो हमारा है॥

४.मैं बनूँ प्रेरणा,तुम गीत लिखो,
प्रेम ग़र जंग है,तुम जीत लिखो,
तुम मेरी चाहतों की मंजिल हो,
कदम-कदम पर मेरा नाम मेरे मीत लिखो॥

५.ज़िन्दगी एक रात है,
जिसमें न जाने कितने ख्वाब हैं,
जो मिल गया वो अपना है,
जो टूट गया वो सपना है॥

६.प्रेम को शब्द में ढालूँ कैसे,
दिल की धडकनों को सम्भालूँ कैसे,
तुम मेरे प्रेम में रंगी हो प्रिये,
रंग तारीफ का मैं अब तुम पर डालूँ कैसे॥

७.तुमसे ही रोशन है चिराग ज़िन्दगी का,
तुमसे ही रंगीन है हर लम्हा ज़िन्दगी का,
ग़र तुम आती हमसफ़र बनके,
तो अधूरा ना रह जाता यह सफ़र ज़िन्दगी का॥


To be continued.....

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