कुछ अनकही शायरियाँ.........भाग 3

Wednesday, March 3, 2010



१.यादों की धुंध में तेरी परछाई सी लगती है,
सन्नाटे में गूंजती शहनाई सी लगती है,
तुम करीब हो तो अपनापन है,
वरना सीने में साँस भी पराई सी लगती है॥

२.कहाँ कोई ऐसा मिला जिस पर दुनिया लुटा देते,
हर एक ने धोखा दिया,किस-किस को भुला देते,
अपने दिल का दर्द दिल में ही रखा,
करते बयान तो महफ़िल को रुला देते॥

३.जुगनू को महताब बनाना पड़ता है,
आंसू को सैलाब बनाना पड़ता है,
फूलों पर जब कोई हमला करता है,
तो खुशबू को तेजाब बनाना पड़ता है॥

४.जब कहीं तन्हाई में आपकी याद आती है,
दिल से एक ही फ़रियाद आती है,
खुदा आपको हर ख़ुशी दे,
क्यूंकि आज भी हमारी हर ख़ुशी आपके बाद आती है॥

५.मिलती हैं नज़रें,दिल मिलाया नहीं जाता,
आगाज़ को अंजाम बनाया नहीं जाता,
यह तो सिर्फ शुरुआत है मेरी जान,
दिल का हाल शब्दों में बयान किया नहीं जाता॥

६.तेरी मुस्कराहट मेरी पहचान है,
तेरी ख़ुशी ही मेरी जान है,
कुछ भी नहीं मेरी ज़िन्दगी,
बस इतना समझ लीजिये,
तेरी मोहब्बत ही मेरी शान है॥

७.दिल-ए-बेताब संभाले से संभालता नहीं,
तेरे बिन अब यह ख्यालों से बहलता ही नहीं,
यूँ तो पत्थर मेरे छूने से पिघल जाते हैं,
संगदिल तू मेरे अश्कों से पिघलता नहीं॥

To be continued....

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