इतनी शक्ति हमें देना दाता

Wednesday, March 10, 2010


इतनी शक्ति हमें देना दाता
मन् का वीश्वास कमजोर हो ना
हम चलें नेक रस्ते पे हमसे
भूलकर भी कोई भूल हो ना...


हर तरफ ज़ुल्म है बेबसी है
सहमा सहमा सा हर आदमी है
पाप का बोझ बढ़ता ही जाये
जाने कैसे ये धरती थमी है
बोझ ममता का तू ये उठा ले
तेरी रचना का ये अंत हो ना...
हम चले...


दूर अग्यान के हो अँधेरे
तू हमें ग्यान की रौशनी दे
हर बुराई से बचके रहे हम
जितनी भी दे, भली ज़िन्दगी दे
बैर हो ना किसीका किसीसे
भावना मन् में बदले की हो ना...
हम चले...


हम ना सोचें हमें क्या मिला है
हम ये सोचें किया क्या है अर्पण
फूल खुशियों के बाटें सभी को
सबका जीवन ही बन जाये मधुबन
अपनी करुना को जब तू बहा दे
करदे पावन हर इक मन का कोना...
हम चले...


हम अँधेरे में हैं रौशनी दे,
खो ना दे खुद को ही दुश्मनी से,
हम सज़ा पाए अपने किये की,
मौत भी हो तो सह ले खुशी से,
कल जो गुजारा है फिरसे ना गुजारे,
आनेवाला वो कल ऐसा हो ना...
हम चले नेक रास्ते पे हमसे,
भूलकर भी कोई भूल हो ना...


इतनी शक्ति हमें दे ना दाता,
मन् का वीश्वास कमजोर हो ना...

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