Love Expressed as....

Tuesday, March 2, 2010



मैं तुम्हें दिन और रात अपने ख्यालों में सोचता रहता हूँ,पर अब चाहता हूँ की तुम उन ख्यालों से निकलकर मेरी ज़िन्दगी में शामिल हो जाओ। मेरे बराबर खड़ी होकर,मेरा हाथ थामकर,यह ज़िन्दगी का सफ़र पूरा करो।

उन तमाम सपनो को जिनमे मैंने तुम्हें देखा है,आज हकीकत बनने से मैं नहीं रोकना चाहता,हो सकता है की कोई मुझसे भी अच्छा हमसफ़र तुम्हें ज़िन्दगी में मिल सके,पर मुझसे ज्यादा प्यार करने वाला कोई दूसरा नहीं मिलेगा।

अगर तुम मेरा हाथ थामकर इस ज़िन्दगी के सफ़र पर चलने का वादा करो तो मैं भी तुम्हारे हर कदम के नीचे अपनी पलकों को बिछाने का वादा करता हूँ ताकि तुम्हें कोई चोट न लगे।

अगर तुम इस ज़िन्दगी में मेरी हमसफ़र बन जाने को तैयार हो जाओ,तो मैं खुदा से लड़कर भी इस जीवन को खत्म नहीं होने दूंगा,और तुम्हारे साथ बीतने वाले हर पल को संजो कर अपनी यादों के बगीचे में गुलों की तरह सीचूंगा,और उसकी खुशबू से तुम्हारे जीवन के हर पल को महकाने की कोशिश करूँगा....


तुम्हारा.....

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