मत चिरागों को हवा दो बस्तियाँ जल जायेंगी,
ये हवन वो है कि जिसमें उँगलियां जल जायेंगी !
मानता हूँ आग पानी में लगा सकते हैं आप,
पर मगरमच्छों के संग में मछलियाँ जल जायेंगी !
उसके बस्ते में रखी जब मैंने मज़हब की किताब,
वो ये बोला अब्बा मेरी कापियाँ जल जायेंगी !
आग बाबर की लगाओ या लगाओ राम की,
लग गई तो आयतें-चौपाइयाँ जल जायेंगी !!
ये हवन वो है कि जिसमें उँगलियां जल जायेंगी !
मानता हूँ आग पानी में लगा सकते हैं आप,
पर मगरमच्छों के संग में मछलियाँ जल जायेंगी !
उसके बस्ते में रखी जब मैंने मज़हब की किताब,
वो ये बोला अब्बा मेरी कापियाँ जल जायेंगी !
आग बाबर की लगाओ या लगाओ राम की,
लग गई तो आयतें-चौपाइयाँ जल जायेंगी !!
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