तुम साथ चलो

Wednesday, January 27, 2010



ज़िन्दगी धूप का है सफ़र,तुम साथ चलो,
न हो सकेगी अकेले गुज़र,तुम साथ चलो,
ज़माना जीने न देगा,करेगा रुसवा हमें,
बनकर मेरे हसीं रहबर तुम साथ चलो,
राह-ए-उल्फत में वफ़ा की सौगात लिए हाथों में,
ए मेरे प्यारे हमसफ़र तुम साथ चलो,
मेरी धडकनों में रहो,बसे रहो साँसों में मेरी,
चलो की दूर कहीं दूर,बहुत दूर कहीं,
हो न दुश्मनों को खबर,तुम साथ चलो,
आशियाना अपना बसायेंगे प्यार के चमन में कहीं,
खुशबुओं से तर है राह गुज़र,तुम साथ चलो।

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