बेटियाँ

Wednesday, January 27, 2010



ओस की बूंदों सी होती हैं बेटियाँ,
स्पर्श करो तो रोती हैं बेटियाँ,
रोशन करेगा बेटा तो एक ही कुल को,
दो कुलों की लाज को रखती हैं बेटियाँ,
माँ का तो पता नहीं,पर बाप की जान होती हैं बेटियाँ,
हीरा अगर है बेटा,तो सच्चा मोती हैं बेटियाँ,
कांटो की राह पर यह खुद ही चलती रहेंगी,
औरों के लिए पर फूल हैं बेटियाँ...

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