आँचल

Thursday, February 4, 2010



कुछ महकी-महकी सी बात इन हवाओं में है,
और कुछ महकी-महकी सी बात तुम्हारे इस आँचल में भी है,
कुछ खुबसूरत से एहसास इन फिजाओं में हैं,
और कुछ खुबसूरत जज़्बात तुम्हारे इस आँचल में भी हैं,
मैं ढूंढ़ता रहता हूँ जिस दिल के सुकून को,
वो सुकून-ए-दिल तुम्हारे इस आँचल में ही है,
वक़्त के थपेड़ों से जब जब झुलस रही हो जिंदगानी कभी,
तो कुछ आराम गर माँ की दुआओं में है,
तो कुछ अपनेपन का एहसास तुम्हारे इस आँचल में भी है,
और क्या लिखूं कुछ मालूम ही नहीं,
क्यूंकि कुछ शब्द ही बस मेरी लेखनी में हैं,
पर हर शब्द की प्रेरणा तुम्हारे आँचल में ही है॥

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