रहने दो

Sunday, February 7, 2010


दामन में अश्क,लबों पर फ़रियाद रहने दो,
दिल शाद मत करो,नाशाद रहने दो,
लौट ही जायेंगी गुजरी हुई बहारें कभी,
चमन में उजड़े हुए फूलों का शबाब रहने दो,
तुम अपनी फ़िक्र करो,मेरा ग़म मत करो,
ये मेरी किस्मत है,मुझे बर्बाद रहने दो,
तुम्हारी यादें ही सहारा हैं ज़िन्दगी का मेरी,
मेरे सिरहाने ये सूखा सा गुलाब रहने दो,
थकी-थकी सी तमन्नाएँ,सोयी हुई आरज़ू,
क्या हुआ अगर टूटे हैं,मगर आँखों में ख्वाब रहने दो,
यह और बात है की अब तुम लिखते नहीं,
मगर फिर भी तन्हाई में इंतज़ार-ए-जवाब रहने दो॥

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