मुझपे रोये..

Sunday, February 7, 2010


मेरी तबाही पर मेरे चाहने वाले रोये,
मेरे अंजाम पर मुझे मिटाने वाले रोये,
सुबूत वफ़ा का इस से बढ़कर क्या होगा,
मिलकर गले मुझसे दूर जाने वाले रोये,
वफ़ा के नाम पर लूटा है जिसने हमको यारों,
अक्सर तन्हाई में वो ही हमें आज़माने वाले रोये,
ए मेरी जानेवफ़ा,तेरा क्या ज़िक्र करूँ,
यहाँ हमसे सब दिल लगाने वाले रोये,
कोई रोया तो मेरे पाँव के छाले रोये,
इश्क की राह में दिलवाले रोये,
दुःख अपना अपना है,कौन सुखी है यहाँ,
झोंपड़े वाले भी रोये,और महल वाले भी रोये॥

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