तड़प..

Tuesday, February 16, 2010



तेरी तस्वीर कमरे से हटाई नहीं जाती,
मोहब्बत तुम्हारी दिल से भुलाई नहीं जाती,
किस मोड़ पर ले आई है ज़िन्दगी मुझे,
की शमा भी एक अब तो जलाई नहीं जाती,
हमसफ़र साथ हो तो ज़िन्दगी जीने का मज़ा है,
तन्हा रातें तो जवानी में बिताई नहीं जाती,
आगोश में सिमटे हों, होठ से होठ मिले हों,
ऐसी हसरतें तो सनम मिटाई नहीं जाती,
तुम साथ आओ और अपने वादे निभा दो,
अकेले तो रस्म-ए-मोहब्बत निभाई नहीं जाती,
यही दस्तूर-ए-इश्क है,रस्म-ए-वफ़ा है यही यारों,
की जलाकर प्यार की शमा बुझाई नहीं जाती,
बड़े अरमानो से बसाई है,ऐसे ना मिटाओ,
यह बस्ती दिल की है,रोज़ बसाई नहीं जाती॥

मोहित कुमार जैन

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