एक लड़की

Sunday, February 7, 2010


एक भोली,सीधी सी मुस्कुराती सी लड़की,
जिसे देखकर मेरे दिल में बिजली सी है कड़की,
जिसकी शरारत,जिसकी मासूमियत,
मेरे दिल को है छू जाती,
और जिसके ख्यालों में बिताए पल,
मेरी ज़िन्दगी के बेहतरीन पलों में हैं,
उस तीखी-तीखी सी,सीधी-सादी सी लड़की से,
मिलने के पल सिर्फ पलों में हैं,
थोड़ी शरारत भी है,
थोड़ी मासूमियत भी है,
और उसके साथ की,इस दिल को ज़रूरत भी है,
मगर कैसी ये बेचैनी है मैं बता नहीं सकता,
मैं उस से प्यार करता हूँ,ये उस से कह नहीं सकता,
हो सकता है की खुदा ने लिखा हो साथ हमारा,
मगर उस फैसले को मैं अभी जान नहीं सकता,
और अगर साथ ना हो,उसका मेरे जीवन में आगे,
तो बस इस पल के आगे मैं जी भी नहीं सकता,
फ़ना हो जाने पर इस ज़िन्दगी के कोई ग़म नहीं,
क्यूंकि साथ नहीं अब उस सीधी-सादी,
भोली-भाली सी लड़की का,
जिसे देखकर मेरे दिल में बिजली सी है कड़की॥

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