मैं क्या करूँ

Friday, February 4, 2011

तेरी याद आये तो मैं क्या करूँ,
तुझ बिन करार ना आये तो मैं क्या करूँ,
जागते में भी तुझ को सोचूं,
सोते में भी तेरे ही ख्वाब आयें तो मैं क्या करूँ,
तुझे भूलने कि लाख करता हूँ कोशिश,
आँखों से तेरी सूरत ना जाए तो मैं क्या करूँ,
तेरे पास आना चाहता हूँ मैं,
ज़माना दीवार बन जाए तो मैं क्या करूँ,
मेरे दिल में तस्वीर है तेरी,यह जानती है तू,
फिर भी तुझे यकीन ना आये तो मैं क्या करूँ !

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