उनका ख़्याल.....

Saturday, June 4, 2011




उन्हें सोचकर ख्यालों में,
एक रौनक चेहरे पर आती है,
वो ऐसी होंगी,वो वैसी होंगी,
बस यही सोच सोच कर,
अब तो दीवाने दिल कि धडकनें बढती जाती हैं,

कभी ख्वाबों का हिस्सा थीं जो,
वो अब मुकम्मल होने वाली हैं,
मेरी ज़िन्दगी में आकर,
वो उसे सजाने वाली हैं,

अभी से इतना बेचैन हूँ मैं,
ना जाने उस पल क्या होगा,
जब सारी दुनिया छोड़ के उनका,
मेरे जीवन में आगमन होगा,

ऐ खुदा तेरी खुदाई कैसी है,
जिन्हें मिलना चाहता हूँ मैं बेचैनी से,
उन्ही से बस मुलाकात नहीं होती है,

कुछ तो कर इस दीवाने कि दीवानगी का इलाज,
कर ऐसा कोई करिश्मा कि वो मिल जाएँ मुझे आज,
और बनके मेरी हमसफ़र ज़िन्दगी में,
करें एक नयी शुरुआत का आगाज़...

कवि:-मोहित कुमार जैन
०३-०६-२०११

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