मेरी चाहत....

Friday, June 10, 2011

हज़ारों जुगनू हों तो भी चाँद कि रौशनी कभी कम ना होगी,
दूर हुए तो क्या,हमारी मोहब्बत कभी कम ना होगी,
जान जाए तो भी ग़म नहीं,
वफायें हमारी कभी कम ना होगी,
मेरे महबूब तेरी दीवानगी कि क़सम,
अँधेरा दुनिया का छाया तो भी,
मेरे दिल में तुम्हारी यादें कभी कम ना होगी,
तेरे नूर से रौशन है यह दुनिया,
क़यामत के आखरी मोड़ तक मेरी ये चाहत तेरे लिखे कभी कम ना होगी......

कवि:-मोहित कुमार जैन
१०-०६-२०११

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