कविता....

Wednesday, June 8, 2011




निगाहें निगाहों से मिलकर तो देखो,
नए लोगों से रिश्ता बनाकर तो देखो,
हसरतें दिल में दबा कर रखीं हैं किसलिए,
कभी अपने होठों को हिलाकर तो देखो,
खामोश रहने से भी कभी कुछ हासिल हुआ है,
दिल कि बात किसी को बताकर तो देखो,
दिल कि बात किसी को बताकर तो देखो,
आसमान सिमट जाएगा तुम्हारे आग़ोश में,
चाहत कि बाहें ज़रा फैलाकर तो देखो.....

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