आजकल वैज्ञानिक एक ऐसा परिधान डिजाईन करने में लगे हैं जिसे पहनकर मनुष्य गायब(या अदृश्य) हो सकता है,ठीक वैसे ही जैसे अनिल कपूर फिल्म मिस्टर इंडिया में हो जाते थे.
मनुष्य की यह अविश्वसनीय सफलता वाकई तारीफ के काबिल है पर क्या वास्तव में मनुष्य को ऐसी कोई खोज करनी चाहिए?क्या वास्तव में मनुष्य को गायब होने की ज़रुरत है?अगर इन सवालों का अर्थ हम अपने मन में झांककर खोजें तो अवश्य ही मिल जाएगा.
मुझे नहीं लगता की आज के युग में मनुष्य को गायब होने की कोई आवश्यकता है.इस भाग०दौद भरी ज़िन्दगी में सबकी अपनी अलग पहचान वैसे ही गायब हो जाती है.और ऊपर से हमारी व्यस्तता हमारे रिश्तों,हमारी भावनाओं, और हमारी संवेदनाओं को भी धीरे-धीरे गायब करती जा रही है.जब इतना कुछ "अच्छा" गायब हो रहा है तो ऊपर से मनुष्य भी अगर गायब हो जाए तो गज़ब हो जाएगा.ज़रूरी तो यह है की हम खुद को गायब करने के तरीके ईजाद करने की जगह आस-पास की बुराइयों को गायब करने के तरीके सोचें.हम सोचें की कैसे देश से भ्रष्टाचार,अपराध,भुखमरी,गरीबी गायब हो,कैसे घपले और घोटाले करने वाले नेताओं के बैंक अकाउंट से रुपैये गायब होकर गरीब जनता तक पहुंचे,कैसे हमारी कुंठित सोच गायब हो,कैसे सामाजिक कुरीतियाँ जैसे दहेज़,बलात्कार की घटनाएं आदि गायब हों.अगर वास्तव में किसी दिन यह सब गायब हो गया तो फिर हमारा जीवन इतना सुखमय हो जाएगा की किसी को भी गायब होने किए ज़रुरत ही नहीं पड़ेगी.
और अगर मान लो की मनुष्य को गायब करने में सफलता हाथ लग भी गयी,तो भी इस खोज के दुष्परिणाम सामने नहीं आयेंगे,इस बात की क्या गारंटी है.कई मनुष्य गायब होने की इस नायब कला का इस्तेमाल अपने फायदे या अपराध बढाने के लिए भी कर सकते हैं.हमारी आधारभूत संरचना ही ढेह सकती है और भी कई दुष्परिणाम हो सकते हैं.
इसीलिए ज़रूरी है की हम गायब होकर अपनी जिम्मेदारियों से बचने का नया तरीका नहीं निकालें अपितु हिम्मत से मुश्किलों का सामना कर विजयश्री हासिल करें ताकि एक दिन हम सभी सच्चे अर्थों में मिस्टर इंडिया बन सकें.
जय-हिंद
लेखक:मोहित कुमार जैन
दिनाँक:-०८-०४-२००७
Quotes(14-08-2014)
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