तुमसे मिलकर.............

Wednesday, June 8, 2011



तुमसे मिलकर ऐसा लगा मानो मैं अपने जीवन की प्रेरणा या एक मुकम्मल मकसद से मिल रहा हूँ तुम्हारे साथ की हुई बातें और बिठाये हुए लम्हों ने मानो मेरे जीवन को एक नयी दिशा प्रदान की है तुमसे मिलकर ना जाने क्यूँ जीवन के उन अनछुए एहसासों ने अंगडाई लेना शुरू कर दिया है जिन्हें आज तक कोई समझ ही नहीं सका पर तुम्हारा साथ, तुम्हारा विश्वास पाकर मेरी भावनाओं ने भी उम्मीदें सजाना शुरू कर दी हैं

आजतक ना जाने क्यूँ जो अकेलापन जीवन में महसूस होता था,अब तुमसे मिलकर उस अकेलेपन से भी मुझे राहत मिलने लगी है और ऐसा लगने लगा है जैसे मेरे अधूरे जीवन को पूरा करने के लिए ही शायद तुम मेरे जीवन में आई हो शायद ईश्वर की ही इच्छा का परिणाम है की मुझे तुम्हारे जैसी दोस्त एक तोहफे के रूप में मिली है जिसके साथ मैं जीवन की छोटी-छोटी खुशियाँ बाँटकर कुछ सुकून के पलों को अपनी यादों की किताब में संजो का रख सकता हूँ

आज जीवन के इस मोड़ पर तुम ही हमसफ़र, तुम ही दोस्त और तुम ही एक प्रेरणा के रूप में मुझे नज़र आती हो और सदा ही ईश्वर से मैं यह दुआ माँगता रहता हूँ की तुम ही मेरे जीवन में खुशियों की सौगात लेकर आओ और मैं भी तुम्हारे जीवन में खुशियों के रंग भर दूं

तुम मेरे जीवन की कविता के शब्द बन जाओ, तुम मेरी जीवन-गाथा की धुन बन जाओ, और मैं तुम्हे पाकर जीवन की हर ख़ुशी पा लूँ, बस यही दुआ मैं आज और आज के बाद हर पल खुदा से करूँगा

1 comments:

shikha said...

nice lines nd feelings...jaise kisi ko sochkar likhi ho...