उनके
होठों पर
मेरा नाम
जब आया
होगा,
खुद
को रुसवाई
से फिर
कैसे बचाया
होगा,
सुनके
फ़साना औरों
से मेरी
बर्बादी का,
क्या
उनको अपना
सितम ना
याद आया
होगा...?
खुद
को खुद
कि नज़र
ना लगे,
कोई
अच्छा भी
इस क़दर
ना लगे,
आपको
देखा है
बस उस
नज़र से,
जिस
नज़र से
आपको नज़र
ना लगे,
तुम्हे
चाह भी
तो इकरार
करना ना
आया,
कट
गयी है
उम्र पर
हमें प्यार
करना ना
आया,
उस
ने मांगी
भी तो
जुदाई माँगी,
और
हम थे
कि हमें
इनकार करना
ना आया....
रात
आँखों में
ढली,पलकों
पर जुगनू
आये,
हम
हवा कि
तरह जा
कर तुझे
छू आये,
बस
गयी मेरे
एहसास में
ये कैसी
महक,
कोई
खुशबु मैं
लगाऊं तो
तेरी ही
खुशबू आये...
नज़र
ने नज़र
को नज़र
बन के
देखा,
नज़र
को नज़र
कि नज़र
लग गयी...
कब
उनकी पलकों
में इज़हार
होगा,
दिल
के किसी
कने में
हमारे लिए
प्यार होगा,
गुज़र
रही हैं
रातें उनकी
याद में,
कभी
तो उनको
भी हमसे
मिलने का
इंतज़ार होगा...
आता
है याद
कोई तन्हाई
में,
खो
जाता हूँ
तब उनकी
ही यादों
में,
डर
सा लगता
है महफिलों
में,
के
कोई देख
ना ले
उन्हें हमारी
निगाहों में...
खुद
को तकलीफ
हुई तो
एहसास हुआ,
कितने
तीर दूसरों
पर चला
चुके हैं
हम...
तुम्हे
चाहा था
इस दिल
ने,
और
चाहता है
आज भी,
छुपाया
था ये
राज़ पहले
भी,
और
छुपाया हुआ
है आज
भी...
ये
सच है
कि बने
थे तुम
जीने कि
वजह,
मगर
देखो किस्मत
का फैसला
निकला अलग
आज भी,
भूलेंगे
तुम्हे शायद
धीरे-धीरे
सदियों में
हम,
मगर
सच पूछो
तो लगती
है ज़िन्दगी
को तुम्हारी
ज़रुरत आज
भी...
कभी-कभी
दिल
उदास होता
है,
हल्का
सा आँखों
को एहसास
होता है,
छलकते
हैं मेरी
भी आँखों
से आँसू,
जब
तुमसे दूर
होने का
एहसास होता
है,
हर
दिल में
एक दर्द
होता है,
बस
बयाँ करने
का अंदाज़
जुदा होता
है,
कुछ
अश्कों में
दर्द बहा
देते हैं,
तो
किसी कि
हँसी में
दर्द छुपा
होता है....
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