महफ़िल-ए-शेर-ओ-शायरी---21

Tuesday, August 27, 2013

बड़ी गुस्ताखियाँ मेरा दिल करने लगा है मुझसे,
ये कबसे तेरा हुआ है मेरी सुनता ही नहीं है...
 
आईने जब देखा हमने चेहरा अपना,
टूट कर उसने भी मेरा दर्द बता दिया...
 
देखी है उसकी आँख में पहली बार नमी,
यूँ लगा की जैसे समंदर उदास है...
 
करो सितम कितने भी तुम मगर,
दिल में धड़कन तुम्हारे नाम की होगी,
ख्वाहिशें तो अधूरी हैं बहुत सी,
पर आखरी ख्वाहिश तेरे दीदार की होगी...
 
उनकी नज़रों में कोई नशा है,कोई मस्ती है,
हमारे प्यार की एक छोटी सी दुनिया इनमें बस्ती है...
 
रातों को सो ना पाऊँ,अब इतना भी ज़ुल्म ना कर,
देख सुबह हो गयी है,तुझे याद करते-करते....
 
उन आँखों में भी हलकी सी नमी रहती है,
बात करतें हैं जो औरों को हँसाने के लिए...
 
साहिल के सुकून से हमें इनकार नहीं मगर,
तूफानों से कश्ती निकालने का मज़ा कुछ और है...
 
उसकी आँखों में नज़र आता था सार जहां मुझको,
मगर उसकी आँखों में खुद को कभी देखा ही नहीं...

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