मुरादों
की मंजिल
के सपनो
मैं खोए
मोहब्बत
की राहों
पे हम
चल पड़े
थे,
जरा
दूर चल
के जब
आँख खुली
तो
कड़ी
धूप में
हम अकेले
खड़े थे...
उनकी
गलियों से
जब गुज़रे
तो मंज़र
अजीब था,
दर्द
था मगर
वो दिल
के करीब
था,
जिसे
हम ढूंढते
थे अपनी
हाथों की
लकीरों में,
वो
किसी दूसरे
की किस्मत,
किसी और
का नसीब
था...
काश
वो नगमें
हमें सुनाये
न होते,
आज
उनको सुनकर
ये आंसू
न आये
होते,
अगर
इस तरह
भूल जाना
ही था,
तो
इतनी गहराई
से दिल
में समाये
न होते...
हर
धड़कन में
एक राज़
होता है,
हर
बात को
बताने का
एक अंदाज़
होता है,
जब
तक ठोकर
न लगे
बेवफाई की,
हर
किसी को
अपने प्यार
पर नाज़
होता है...
मुझे
आज भी
उसके प्यार
की शिद्दत
रोने नहीं
देती,
वो
कहते थे
मर जाएंगे
तेरे आंसूओं
के गिरने
से पहले...
उनकी
मोहब्बत बनकर
सांस मेरी
ज़िन्दगी में
आई है,
उनके
बिना हर
पल सूना
है, हर
तरफ तन्हाई
है,
मांगी
थी मैंने
मुस्कुराने की
एक वजह
खुदा से,
उनको
पा कर
यकीन हो
गया कि
मेरी दुआ
रंग लाई
है...
कागज़
की कश्ती
थी और
पानी का
किनारा था,
खेलने
की मस्ती
थी और
दिल आवारा
था,
कहाँ
आ गये
जवानी के
दलदल मैं,
बचपन
ही कितना
प्यारा था,
उतरा
था चाँद
मेरे आँगन
मैं,
यह
सितारों को
गवारा न
था,
मैं
तो सितारों
से बगावत
कर लेता,
पर
चाँद भी
कहाँ हमारा
था...
वो
सिलसिले वो
शौक वो
ग़ुरबत न
रही,
फिर
यूँ हुआ
की दर्द
में शिददत
न रही,
अपनी
जिन्दगी में
वो हो
गये मशरूफ
इतना,
कि
हमको याद
करने की
उन्हें फुर्सत
न रही.....
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