महफ़िल-ए-शेर-ओ-शायरी---8

Monday, August 26, 2013

ग़म हो वहाँ,जहाँ हो अफसाना आपका,
खुशियाँ ढूँढती रहें आशियाना आपका,
वो वक़्त ही ना आये जब आप उदास हों,
ये दुनिया भुला ना सके मुस्कुराना आपका...
 
पाकर तुम्हें सपने सच लगने लगे,
अजनबी से थे जो कभी,आज अपने लगने लगे,
होता नहीं है यकीन खुद की किस्मत पर,
धडकनें होते हुए भी वो जान लगने लगे....
 
आपके आने से खिल गया है आँगन,
और आपके साथ से झूम उठा है गगन,
आप हो इसीलिए खुश है सारा चमन,
और आपसे प्यार करने को हम लेंगे हज़ारों जनम..
 
ख़ामोशी में तेरी आवाज़ की बहुत याद आई,
तन्हाई में तेरे साथ की बहुत याद आई,
जब भी पोंछे हैं मैंने आँसू हाथों से,
तेरे दामन के किनारों की बहुत याद आई...
 
कभी-कभी मोहब्बत में वादे टूट जाते हैं,
इश्क के कच्चे धागे टूट जाते हैं,
झूठ बोलता होगा चाँद भी,
इसीलिए तो रूठ कर तारे भी टूट जाते हैं..
 
हमको तो मोहब्बत मिली ना प्यार मिला,
जो भी मिला बेवफा यार मिला,
हमारी तो ज़िन्दगी तमाशा बन गयी है यारों,
जो भी मिला वो अपनी ज़रुरत का तलबगार मिला....
 
बेवफा कहूँ या फिर दिलरुबा कहूँ.!
परेशन हूँ मैं तुझे क्या कहूँ.!!
दिखा ज़िंदगी को जीने की डगर.!
छुप गयी कहाँ दिल को क्या कहूँ.!!
सजाई सेज तूने किसी गैर खातिर.!
अपने अरमानो को मैं क्या कहूँ.!!
बेवफ़ाई का गम नहीं रुसवा क्यूँ किया.!
ज़माने को अब मैं क्या कहूँ.!!
चला हूँ जान देने तेरी बेवफ़ाई पर.!
वहाँ खुदा को जाकर मैं क्या कहूँ.!!
 
गुज़रे जब शहर की गलियों से हर जवान दिल धड़काया होगा.!
मेरे महबूब यक़ीनन तूने हर शख्स को बहुत तड़पाया होगा.!!
तारीफ तेरी या उस खुदा की करूँ जिसने तुझे बनाया है.!
जाने इतने सुंदर नयन-नक़्श कहाँ-कहाँ से ढूँढ कर लाया है.!!
कहीं से नयन, कहीं से गेसू, कहीं से लब लाया होगा.!
तुझे बनाने में ना जाने खुदा ने कितना वक़्त गँवाया होगा.!!
देख अपनी ही कलाकृति को वो भी परेशन हो गया होगा.!
तुझे बनाने के बाद उसका दिल भी तुझ पर आया होगा.!!
बना तुझ हसीन को वो खुदा भी खुद पर शरमाया होगा.!
सुन तेरी तारीफ़ सारी खुदाई में वो भी इतराया होगा.!!

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